
रायटर के हवाले से IQNA की रिपोर्ट, उर्सुला मुलर, मानवीय मामलों के लिए संयुक्त राष्ट्र महासचिव के सहायक ने म्यांमार में छह दिन की यात्रा के बाद, कहाः मैं ने जो देखा और लोगों से जो सुना है उस पर ध्यान देते हुऐ हुऐ और स्वास्थ्य देखभाल की कमी,असुरक्षित होना और विस्थापित लोगों को बराबर जा बजा करना उनके रिटर्न के लिए अनुकूल नहीं हैं।
समस्या का एक हिस्सा यह है कि म्यांमार ने हिंसा के दौरान कम से कम 55 गांवों को नष्ट कर दिया था। ख़्वाह जितना भी म्यांमार सरकार यह कहे कि शरणार्थियों के रिसेप्शन और पुनर्वास के लिए यह विनाश हुआ है।
पिछले साल, रोहंगिया मुस्लिमों के दमन और म्यांमार के राख़ीन राज्य में रहने वाले 700,000 मुस्लिम के बांग्लादेश भेज देने के बाद संयुक्त राष्ट्र ने इस देश पर नसली सफाई का आरोप लगाया था।
कुछ पहले, और विश्व की जनता की राय के दबाव के परिणामस्वरूप म्यांमार सरकार ने वादा दिया था हर संभव प्रयास करेगी कि शरणार्थियों की वापसी बांग्लादेश के साथ हस्ताक्षरित समझौते के अनुसार जो नवंबर में उचित किया गया था न्यायपूर्ण और उच्च सुरक्षा के साथ की जाऐगी।
म्यांमार ने अभी तक कई सौ रोहंगी मुस्लिम शरणार्थियों की वापसी की अनुमति दी है। पिछले महीने म्यांमार के एक अधिकारी ने कहा कि शरणार्थियों का पहला समूह जब उनके मुनासिब हो म्यांमार लौट सकता है।
इससे पहले, बांग्लादेश के अधिकारियों ने म्यांमार की रोहंगिया शरणार्थियों को स्वीकार करने की इच्छा पर सवाल उठाया था। म्यांमार और बांग्लादेश जनवरी में सहमत हुए कि विस्थापित लोगों के लिए अगले दो वर्षों में जो लोग वापसी करना चाहते हैं अनुकूल माहौल प्रदान करें। म्यांमार ने दो रिसेप्शन सेंटर स्थापित किए हैं, और कहा जाता है कि निर्वासित व्यक्तियों के पहले समूह की मेजबानी करने के लिए, राख़ीन सीमा के निकट एक अस्थायी शिविर बनाया गया है।
म्यांमार में बहुत से लोग, जहां अधिकांश जनसंख्या बौद्ध है, बांग्लादेश से अवैध उत्प्रवासियों के रूप में रोहिंग्या मुस्लिमों को मानते हैं।
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